समय-समय पर यह पत्रिका महत्वपूर्ण बाल साहित्यकारों पर केंद्रित विशेषांक भी प्रकाशित करती है जिसमें उस बाल साहित्यकार के संपूर्ण साहित्यिक अवदान पर समालोचनात्मक निबंध प्रकाशित किए हैं।
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उनकी कहानियों, अपूर्ण उपन्यास, समालोचनात्मक निबंध और डायरियों को कविताओं के साथ-साथ पुनर्पाठ करने पर कहीं संदेह नहीं रह जाता कि वे पश् चि म के किसी प्रतिक्रियावादी दर्शन के शि कार नहीं हुए थे।
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हिंदी के महत्वपूर्ण दैनिक समाचार-पत्रों में बाल साहित्य के लिए परिशिष्ट तो हैं ही, वे प्रायः बाल साहित्य के विविध पहलुओं पर समालोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित किया करते हैं, परंतु ये चर्चाएँ राष्ट्रीय फलक पर नहीं आ पातीं, क्योंकि प्रत्येक समाचार-पत्र के अपने अलग-अलग व्यावसायिक क्षेत्र हैं, जहाँ वे बिकते हैं और इसलिए उनमें प्रकाशित रचनाएँ भी उस क्षेत्र-विशेष के पाठकों तक ही सीमित रह जाती हैं।